आज सुबह सड़क पर
शराब की बोतल मिली
कहने लगी,मयखाने की
शोभा बढाती थी ,मै कभी
एक मयकद को सुकून -इ-मंजर
पहुचाया अभी अभी
मै खाली हुई , तो मुझको फेक दिया
अब मै हु यहाँ पड़ी
लाखो चाहने वाले थे
जब तक थी मै भरी
लव से लगता था कोई
तो किसी के हिरदय को
ठंडक पहुचती थी मै कभी
आज मै भटक रही हु
कभी इस गली ,तो कभी उस गली
आज तेरे कदमो तले ,आकर हु पड़ी
आज सुबह सड़क
पर शराब की बोतल मिली
- --आर.विवेक
ब्लॉगर नाम -सफ़र-विवेक.ब्लागस्पाट.कॉम
-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com
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