Sunday, October 10, 2010

दो फूंक

दो फूंक पी लें

कुछ पल सुख

चैन से बीता लें

धुएं के छल्ले में

गम को उड़ा दें

शांत तन में

हल-चल मचा दें

चलते-चलते आखरी

दो कस लगा लें

लिबास ओढा हो

सफ़ेद या खाकी का

लब से लगा लें

हिरदय में बसा लें

चाहे निर्बल कर या धोखा दें

कुछ पल तेरे संग बीता लें

चलते-चलते ,खुली आँखों से

बंद आँखों से सौदा कर

शौक तो बुझा लें

आखरी दो कस लगा लें

------आर.वीवेक

-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com

विश्वास -अविश्वास

जिस सूरत में दुनिया
लग रही है खुबसूरत
कभी उसका सच
न जान लेना
ठगे रह जावोगे ,
हो जावोगे अकेले
उठती-गिरती नजरो से
आएना तांक लेना
बना नूर में
अक्स को अपना साथी
दिल लगाने की
फिर कभी हिमाकत
करना
तोहमत न लगाओ
वक्त पे हे साहीब
घर की चार-दिवारी से
कभी बाहर भी झांक लेना
------आर.वीवेक
इ-मेल-वीवेक२१७४@जीमेल.com">-मेल-वीवेक२१७४@जीमेल.com

शहर

अजीब है शहर
हैं अजीब इस शहर के लोग
किसी के,जिंदगी की
शाम हो गयी है
पर चंद कदमो पे ही
चल रहा मौज मस्ती का दौर
जिन इमारतो में, जिंदगी गुजरी
न कभी जान पाए ,पड़ोस में रहता है कौन
कंकड़ पत्थर में रहकर
हो गए है कंकड़ पत्थर से लोग
भाग -दौड़ की जिंदगी में
न सुबह को, न ही शाम को है चैन ।
अजीब है शहर
है अजीब इस शहर के लोग
---- आर.वीवेक
-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com

Monday, October 4, 2010

सवागतम

अटकलों पर लग गया विराम
खुबसूरत लग रही शाम
आगाज हो गया ,खेलो के संग्राम का
लग रहा हैं ,भारत की शान में
चार चाँद
कहने वालो ने क्या -क्या नहीं ,कहा
कहना था ,उनका काम
भयभीत हुए बिना ,बढता रहा
जो कारवा
आज सममुख सबके है
विश्व में, भारत का
क्या है मुकाम
जियो उठो बढ़ो जीतो
छू लो गगन
है देश का ये पैगाम
भारत सारा कर रहा
कामनवेल्थ में आने वालो का
तहे-दिल से
स्वागतम स्वागतम स्वागतम
आर.विवेक
ब्लॉगर नाम -सफ़र-विवेक .ब्लागस्पाट.कॉम
-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com">-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com