Monday, May 16, 2011

सपनों के पार

कुछ पाना है ,तो कुछ खोना होगा
त्याग का बीज,समर्पण की सतह पर बोना होगा
रवि संग नित्य निकलना होगा
प्रेरणा तेरा गहना होगा
दोपहर की तपिश सहना होगा
लू के थपेड़ो से ,लड़ना होगा
कहीं न कहीं से ,कभी न कभी
जीवन आकाश में ,काला बादल घुमडेगा
तेज आंधी संग शीतल वर्षा कर जायेगा
सख्त भूमि से बाहर फिर सुकोमल
कली प्रस्फुटित होते हुए दिखलायेगा
ममता के आंचल में ,
वाही एक दिन विशाल वृक्ष बन जायेगा
अपने ही फरामोश कर देगे
सारे गिले -शिकवे
जब उनका हिरदय शीतलता की छाँव में
ठंडक पायेगा
खामोशी से सारा जीवन ,एक पल में
खुशियों से सिमट जायेगा
ये दिन जरुर आयेगा ,ये दिन जरुर आयेगा .............

आर.विवेक