दो फूंक पी लें
कुछ पल सुख
चैन से बीता लें
धुएं के छल्ले में
गम को उड़ा दें
शांत तन में
हल-चल मचा दें
चलते-चलते आखरी
दो कस लगा लें
लिबास ओढा हो
सफ़ेद या खाकी का
लब से लगा लें
हिरदय में बसा लें
चाहे निर्बल कर या धोखा दें
कुछ पल तेरे संग बीता लें
चलते-चलते ,खुली आँखों से
बंद आँखों से सौदा कर
शौक तो बुझा लें
आखरी दो कस लगा लें
------आर.वीवेक
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