Sunday, October 10, 2010

विश्वास -अविश्वास

जिस सूरत में दुनिया
लग रही है खुबसूरत
कभी उसका सच
न जान लेना
ठगे रह जावोगे ,
हो जावोगे अकेले
उठती-गिरती नजरो से
आएना तांक लेना
बना नूर में
अक्स को अपना साथी
दिल लगाने की
फिर कभी हिमाकत
करना
तोहमत न लगाओ
वक्त पे हे साहीब
घर की चार-दिवारी से
कभी बाहर भी झांक लेना
------आर.वीवेक
इ-मेल-वीवेक२१७४@जीमेल.com">-मेल-वीवेक२१७४@जीमेल.com

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