
हर तंत्र में यह भगवन हो गया
इसके प्रति श्रद्धा रखना अनिवार्य हो गया
राम संग जैसे प्रिय भक्त हनुमान हो गया
रिश्वत की आड़ में यह जवान हो गया
धन की लालसा में ,इन्सान हैवान हो गया
रिश्वत से हर काम का अनुबंध हो गया
यह देख सचाई सतयुग के दामन में सो गया
एक दिन भ्रमण करते हुए ,परभू का नारायण से भेट हो गया
पूछा प्रभु ,ऋषि -मुनियों के देश में यह क्या हो रहा
बोले प्रभु ,देखो नारायण ,कलयुग का प्रकोप छा रहा
ऐसा तो युग युगांतर से होता आ रहा
नारायण बोले ,प्रभु मै समझ गया
अनुमति दे अब जाऊ चला ,देश तेरा हो भला
-आर.विवेक
ब्लॉगर नाम -सफ़र-विवेक.ब्लागस्पाट.कॉम
इ-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com" href="mailto:-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com
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