मिटटी की सोंधली खुशबू
नन्हे हाथो का कमाल
त्यौहार की ख़ुशी
उमड़ा मन मस्तिष्क
में विचार
बड़ो ने अपने लिए
जो बना रखा है आशियाना
त्यौहार आने पर ,लिपा-पोती
कर सजा रहे है
हमारे साजो-सामान घर के बाहर
धुप -शीत khअ रहे है
अब इन घरो में ,कितना दिनों तक
रहेगा हम सब का ठिकाना
बच्चो की टोली से कहने लगे
देखो दोस्तों हम-सब को ये बच्चे
समझते है
हमारे मन की गहराई ko
क्यों नहीं समझते है
हम सब बनायेगे ,अपने घर के पास
घर का छोटा सा ही प्रतिरूप
प्रकृति ने हम सब को
संशाधन दिए है खूब
सभी बच्चो ने बना डाला अपना आशियाना
यह देख घर के लोग ,होने लगे निहाल
कहने लगे ,देखो बच्चा हो रहा है बड़ा
मट्टी बटोरकर ,बना डाला है घरौंदा
कद्र करो इनके जज्बातों का
नहीं तो घर में ही उठ जाएगी आंधी
बच्चो ने दिखा दिया है ,ये हो सकते है बागी
-----आर.विवेक
ब्लॉगर नाम -सफ़र-विवेक.ब्लागस्पाट.कॉम
इ_मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com">_मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com
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