Saturday, December 11, 2010

घरौंदा

मिटटी की सोंधली खुशबू
नन्हे हाथो का कमाल
त्यौहार की ख़ुशी
उमड़ा मन मस्तिष्क
में विचार
बड़ो ने अपने लिए
जो बना रखा है आशियाना
त्यौहार आने पर ,लिपा-पोती
कर सजा रहे है
हमारे साजो-सामान घर के बाहर
धुप -शीत khअ रहे है
अब इन घरो में ,कितना दिनों तक
रहेगा हम सब का ठिकाना
बच्चो की टोली से कहने लगे
देखो दोस्तों हम-सब को ये बच्चे
समझते है
हमारे मन की गहराई ko
क्यों नहीं समझते है
हम सब बनायेगे ,अपने घर के पास

घर का छोटा सा ही प्रतिरूप
प्रकृति ने हम सब को
संशाधन दिए है खूब
सभी बच्चो ने बना डाला अपना आशियाना
यह देख घर के लोग ,होने लगे निहाल
कहने लगे ,देखो बच्चा हो रहा है बड़ा
मट्टी बटोरकर ,बना डाला है घरौंदा
कद्र करो इनके जज्बातों का
नहीं तो घर में ही उठ जाएगी आंधी
बच्चो ने दिखा दिया है ,ये हो सकते है बागी
-----आर.विवेक
ब्लॉगर नाम -सफ़र-विवेक.ब्लागस्पाट.कॉम
इ_मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com">_मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com


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