सोने से पहले
बहुत दूर जाना है
किसी से किया है वादा
उसको निभाना है
बंद आँखों का क्या है भरोसा
वो खुले की न खुले
खुली आँखों से ही
मंजिल तक जाना है
मुझसे न हो ,किसी को कोई इतफाक
तो कोई बात नहीं
पर एतेफाकन कही, वो मिले
और तोहमत न लगाये
नाकमे वफ़ा का
यही सोच ,आखिरी सास तक चलते जाना है
सोने से पहले
बहुत दूर जाना है
------ आर .विवेक
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