Sunday, February 14, 2010

काज़ल

झुकी नजर का, झुकी नजर पर वार हुआ.
कम्बखत काजल बीच में दीवार हुआ.
ऐसा पहली बार हुआ, ऐसा पहली बार हुआ.
काजल ने जलकर, किस्मत क्या बनाई है,
महबूब की आँखों में जगह पाई है.
मेरे दिल में काजल के लिए खार हुआ,
न जाने कब से,वह मेरी महबूबा का यार हुआ.
जब से पलकों पर सजाया है उसको,
तब से उनकी नजरो में उन्ही का,
ये आशिक बेकार हुआ
हिरनी सी नजर,कातिल सी अदा पर,
ये आशिक दिल बीमार हुआ.
दवा भी लिया, दुआ भी किया
फिर भी , ये दिल-इ-रोग ला-इलाज हुआ.
झुकी नजर का, झुकी नजर पर वार हुआ.
कम्बखत काजल बीच में देवार हुआ.
ऐसा पहली बार हुआ,ऐसा पहली बार हुआ.
लिखने वाला-आर.विवेक
इ-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.कॉम

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