Tuesday, February 9, 2010

बे -जुबान दिल

बेवजह लफ्ज कुछ
कहते ही नहीं.
दिल-इ -जज्बात यु
निकलते ही नहीं.
आप हो इतने हसी,
ये दिलनशी, ये महजबी
देखू कितनी बार भी
पर दिल है,की सुकू मिलता ही नहीं.
न देखू आपको,तो वीरान सा लगता है,
ये आसमा और ये ज़मी.
बेवजह लफ्ज कुछ
कहते ही नहीं
चाँद को उसकी सुन्दरता,
किसी ने बताई ही नहीं.
देखू चाँद को, तो ऐसा लगे
आप की सुन्दरता का,
कंही कोई हिस्सा तो नहीं.
कई निसा गुजारी है,देखकर चाँद को
कंही आप से कोई,गुफ्तगू किया तो नहीं.
बे_वजह लफ्ज कुछ
कहते ही नहीं.
दिल-इ - जज्बात यु,
निकलते ही नहीं

Written-R.Vivek.E-mail-vivek2174@gmail.com

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