Saturday, January 1, 2011

नया साल और फिर एक उम्मीद


उम्मीद कुछ करने का
कुछ बनने का
आस्था के संग जीने का
धैर्य के आंचल में रहने का
अंतहीन सिलसिला
jaise सूरज के निकलने का
मौसम के बदलने का
बरखा होने का
पतझड़ के बाद शाख पर
नये पत्तो के निकलने का
उम्मीद जिन्दगी के साथ
जिन्दगी भर जीने का
भवंर के साथ लड़कर
साहिल तक पहुचने का
गम के काँटों को
फूलो में बदलने का
पर्वत की चोटी पर
ओंस के चमकने का
सुबह -सुबह किरणों के संग
शिखरों पर टहलने का
दर्पण की चमक को
हीरे की चमक में बदलने का
उम्मीद कुछ करने का
कुछ बनने का
आस्था के संग जीने का
--आर.विवेक

1 comment:

  1. Hum to pahle se hi aapke kayal the aur ab to bas..kya likhu....

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