Saturday, May 22, 2010

BAALSHRAM

बचपन तो निर्दोष हैं
तो बचचो का क्या दोष हैं
इनके भविष्य की नैय्या
किस ओर हैं
इनके माता पिता को नहीं
इनका कोई होश हैं
सब अपने ही में मदहोश हैं
बचपन तो निर्दोष हैं
जिन हाथो में होना हो
कलम और किताब को
उन हाथो में परिवार
चलाने का बोझ हैं
प्रति-दिन न जाने
कितनो का शोषण होता हैं
फिर भी शासन -प्रशासन को
इनका नहीं कोई होश हैं
बचपन तो निर्दोष हैं
तो बचचो का क्या दोष हैं
मासूमअपने जन्म पर रोते हैं
बदहाली में अपना भविष्य खोते हैं
दहसत के साये में सोते हैं
कई अमानाविये घटनाये उनके
संग होते हैं

इस बात का ,न किसी को कोई अफ़सोस है
न कोई कदम बद रहा ,इनकी और है
बचपन तो निर्दोष हैं
तो बच्चो का क्या दोष हैं
लिखने वाला -आर.विवेक

इ-मेल -विवेक२१७४@जीमेल.com

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