Thursday, April 1, 2010

ज़न्म होगा की नहीं (भूर्ण हत्या )

इंसा ! तुने इक जीवन को
पनपने दिया
इस सुन्दर ज़हा को
देखने से पहले ही, उसे महरूम किया
आपसे प्यारे तो जानवर है
जो अपनी ममता को, अपने जिगर से
कभी , अलग होने दिया
इंसा ! तुने इक जीवन को
पनपने दिया
वो हो सकती थी ,माया ,चावला ,नूयी
श्रुति या टरेसा का रूप
जिनेह आपने पनपने दिया
उनकी अनुपम किलकारियों से
जाने कितने घरो को महरूम किया
इंसा ! तुने इक जीवन को
पनपने दिया
आप तो (डॉक्टर) भगवान् का दूसरा रूप हो
चंद पैसो के लिए
इक शक्ति को, इस ज़हा में आने दिया
कितनी माओ की ममता को
उनके साथ पलने दिया
इंसा ! तुने इक इंसा होकर
एक जीवन को
पनपने दिया


लिखने वाला -आर.विवेक
इ-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.कॉम

1 comment:

  1. aap ko padta hu to lagta hai ke aap dil se likhte hai

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