हम यहाँ, वो कहा
आजादी हैं कहा
दरम्या एवरेस्ट ,मरयाना
सा हैं जहा
समता या समानता हैं कहा
फिर भी
क्या हम आज़ाद हैं
सोचने दो,रूककर जरा यहाँ
हैं आज़ाद तो किसके लिए
भ्रष्टाचार ,हिसा ,आतंक
आनैतिक कृत्य ,महगाई
को देने के लिए पनाह
हम यहाँ ,वो कहा
आजादी हैं कहा
kitney मानते हैं
आजादी का ज़शन
त्योहारों की तरह
to कितने आन्भिघ हैं
आजादी से
हर दिन हैं जीते
हर दिन की तरह
हम yaha वो कहा
आजादी हैं कहा
सारा जहा लड़ता हैं
जिसके लिए
वो लोग थे कल भी जहा
आज भी हैं वहा
कल भी रहेगे वहा
tab तक न बदलेगी तस्वीर
जब तक न भरेगा
इंसानी कब्रगह
हम यहाँ ,वो कहा
आजादी हैं कहा
लिखने वाला- आर. विवेक
इ_मेल.कॉम-विवेक२१७४@जीमेल.com
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