Thursday, August 5, 2010

ललक

परिस्थितियों से भागो मत
लड़ना सीखो
तनहाई में भी
हसना सीखो
खुद ही खुद से
बाते करना सीखो
इतिहास से कुछ सीखो
तो भूगोल भी पढना सीखो
आग से जलना सीखो
सूरज से तपना सीखो
चाँद से भी कुछ लेना सीखो
उम्र की सीमा न हो
हर उम्र में कुछ न कुछ सीखो
चीटी से कुछ सीखो
तो हवा -पानी से भी कुछ सीखो
फले वृक्ष की डाली से भी कुछ लेना सीखो
पर्वत को खड़ा ही न देखो तुम
उनसे भी कुछ लेना सीखो
कुछ पाना सीखो तो कुछ खोना सीखो
मंदिर,मस्जिद , गुरुद्वारा से भी
कुछ लेना सीखो
शीतल जल ही न पियो घड़े का
कुम्हार की चकिया का
हाल भी पूछो तुम
सौ साल कायर बनकर
जीने से अचछा
एक दिन शेर बनकर
जी लो तुम
हर दिन हर पल हर क्षण
ऐसा जियो ,बस जीना है
तुमको आज का दिन
लिखने वाला -आर.विवेक
इ_मेल -विवेक२१७४@जीमेल.com

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