प्रभुत्व की लडाई में
कौन किस्से कम है
मूलभूत सुविधाए चाहे कम हो
पर सभी के हाथो में परमाणु बम हैं
मैक्सलो की हैराकी का
अपवाद देख रहे हम हैं
हिब्कुशा को देख
न किसी को कोई गम हैं
चाहे सर से पैर डूबा हो ,क़र्ज़ में
पर नाकों पर राष्ट्र गौरव का
झूठा अहम है
हम ,हम हैं, हम किस्से कम हैं
लिखने वाला -आर.वीवेक
इ_मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com" href="mailto:-विवेक२१७४@जीमेल.com
Friday, August 27, 2010
Tuesday, August 10, 2010
आ आ आजादी
हम यहाँ, वो कहा
आजादी हैं कहा
दरम्या एवरेस्ट ,मरयाना
सा हैं जहा
समता या समानता हैं कहा
फिर भी
क्या हम आज़ाद हैं
सोचने दो,रूककर जरा यहाँ
हैं आज़ाद तो किसके लिए
भ्रष्टाचार ,हिसा ,आतंक
आनैतिक कृत्य ,महगाई
को देने के लिए पनाह
हम यहाँ ,वो कहा
आजादी हैं कहा
kitney मानते हैं
आजादी का ज़शन
त्योहारों की तरह
to कितने आन्भिघ हैं
आजादी से
हर दिन हैं जीते
हर दिन की तरह
हम yaha वो कहा
आजादी हैं कहा
सारा जहा लड़ता हैं
जिसके लिए
वो लोग थे कल भी जहा
आज भी हैं वहा
कल भी रहेगे वहा
tab तक न बदलेगी तस्वीर
जब तक न भरेगा
इंसानी कब्रगह
हम यहाँ ,वो कहा
आजादी हैं कहा
लिखने वाला- आर. विवेक
इ_मेल.कॉम-विवेक२१७४@जीमेल.com
आजादी हैं कहा
दरम्या एवरेस्ट ,मरयाना
सा हैं जहा
समता या समानता हैं कहा
फिर भी
क्या हम आज़ाद हैं
सोचने दो,रूककर जरा यहाँ
हैं आज़ाद तो किसके लिए
भ्रष्टाचार ,हिसा ,आतंक
आनैतिक कृत्य ,महगाई
को देने के लिए पनाह
हम यहाँ ,वो कहा
आजादी हैं कहा
kitney मानते हैं
आजादी का ज़शन
त्योहारों की तरह
to कितने आन्भिघ हैं
आजादी से
हर दिन हैं जीते
हर दिन की तरह
हम yaha वो कहा
आजादी हैं कहा
सारा जहा लड़ता हैं
जिसके लिए
वो लोग थे कल भी जहा
आज भी हैं वहा
कल भी रहेगे वहा
tab तक न बदलेगी तस्वीर
जब तक न भरेगा
इंसानी कब्रगह
हम यहाँ ,वो कहा
आजादी हैं कहा
लिखने वाला- आर. विवेक
इ_मेल.कॉम-विवेक२१७४@जीमेल.com
Thursday, August 5, 2010
ललक
परिस्थितियों से भागो मत
लड़ना सीखो
तनहाई में भी
हसना सीखो
खुद ही खुद से
बाते करना सीखो
इतिहास से कुछ सीखो
तो भूगोल भी पढना सीखो
आग से जलना सीखो
सूरज से तपना सीखो
चाँद से भी कुछ लेना सीखो
उम्र की सीमा न हो
हर उम्र में कुछ न कुछ सीखो
चीटी से कुछ सीखो
तो हवा -पानी से भी कुछ सीखो
फले वृक्ष की डाली से भी कुछ लेना सीखो
पर्वत को खड़ा ही न देखो तुम
उनसे भी कुछ लेना सीखो
कुछ पाना सीखो तो कुछ खोना सीखो
मंदिर,मस्जिद , गुरुद्वारा से भी
कुछ लेना सीखो
शीतल जल ही न पियो घड़े का
कुम्हार की चकिया का
हाल भी पूछो तुम
सौ साल कायर बनकर
जीने से अचछा
एक दिन शेर बनकर
जी लो तुम
हर दिन हर पल हर क्षण
ऐसा जियो ,बस जीना है
तुमको आज का दिन
लिखने वाला -आर.विवेक
इ_मेल -विवेक२१७४@जीमेल.com
लड़ना सीखो
तनहाई में भी
हसना सीखो
खुद ही खुद से
बाते करना सीखो
इतिहास से कुछ सीखो
तो भूगोल भी पढना सीखो
आग से जलना सीखो
सूरज से तपना सीखो
चाँद से भी कुछ लेना सीखो
उम्र की सीमा न हो
हर उम्र में कुछ न कुछ सीखो
चीटी से कुछ सीखो
तो हवा -पानी से भी कुछ सीखो
फले वृक्ष की डाली से भी कुछ लेना सीखो
पर्वत को खड़ा ही न देखो तुम
उनसे भी कुछ लेना सीखो
कुछ पाना सीखो तो कुछ खोना सीखो
मंदिर,मस्जिद , गुरुद्वारा से भी
कुछ लेना सीखो
शीतल जल ही न पियो घड़े का
कुम्हार की चकिया का
हाल भी पूछो तुम
सौ साल कायर बनकर
जीने से अचछा
एक दिन शेर बनकर
जी लो तुम
हर दिन हर पल हर क्षण
ऐसा जियो ,बस जीना है
तुमको आज का दिन
लिखने वाला -आर.विवेक
इ_मेल -विवेक२१७४@जीमेल.com
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