ख़त न चिट्ठी न पाती हम देगे
बस तेरी यादो में दस्तक देगे
बड़ा मतल्वी है जो ये ज़माना
इसका है न कोई ठिकाना
झूठा मनगढ़त बुन देगा ताना बाना
यादो में आकर फिर ,
आके चले जाना
बंद आखो में रहेगा तेरा मेरा ठिकाना
जब बीते पल की
खुलेगी एक -एक कर लड़िया
कभी हसना तो कभी रोना
कुछ पल के लिए
जग लगेगा सूना
उस पल कुछ न होगा
बस यादो के संग पड़ेगा जीना
ख़त न चिट्ठी न पाती हम देगे
बस तेरी यादो में हम दस्तक देगे
लिखने वाला -आर.विवेक
इ_मेल -विवेक२१७४@जीमेल.com
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