Machiso ne ek sajish ki
yah dekh, depko ne unsey batey ki
kya adavat hai?
terey aur merey darmaya
kay kiya hai?
mainey gunah
pahley hauiley se pilvatey ho jaam
jab madmast hotey hai hum
her sham jalatey ho mera badan
nijat dilatey hain, andhery se
milkar hum aur tum
bus fark hai etna ki tum jaltey ho kam
sham se subha tak jaltey hai hum
(deepak khata hai) kisi ne nahi samjha mera merm
havavo ne kiyey hai merey zakhm kam
esliya chuna hai usey apna humdum
(ye parney valo) ye afsana sunkar , lavo par hasee lana
na karna akhey nam, ki zal raha hai
mera badan, ki zal raha hai mera badan!
written By R.ViVek
E-mail-vivek2174@gmail.com
Saturday, November 21, 2009
Friday, November 20, 2009
पहचान
मैं कौन हु , मैं क्या हु?
खुद से पूछता हु
अजनबी शहर में
एक पहचान ढूंढ़ता हु.
चलता हु, तो साथ
चलता है एक साया
साथ चलने का राज पूछता हु.
मैं कौन हू , मैं क्या हु
खुद से पूछता हु
हो जाये अँधेरा
तो उजाला ढूंढ़ता हु.
भटक जाये रहे
तो पथरो से पूछता हु
राहे न आये, समझ मे
तो सहर का नक्शा देखता हु.
गम हो तो, क्यों
रहे हो जाती है, लम्बी
खुशियों मे मदमस्त
चाल चलता हु
मै कौन हु, मैं क्या हु
खुद से पूछता हु||
खुद से पूछता हु
अजनबी शहर में
एक पहचान ढूंढ़ता हु.
चलता हु, तो साथ
चलता है एक साया
साथ चलने का राज पूछता हु.
मैं कौन हू , मैं क्या हु
खुद से पूछता हु
हो जाये अँधेरा
तो उजाला ढूंढ़ता हु.
भटक जाये रहे
तो पथरो से पूछता हु
राहे न आये, समझ मे
तो सहर का नक्शा देखता हु.
गम हो तो, क्यों
रहे हो जाती है, लम्बी
खुशियों मे मदमस्त
चाल चलता हु
मै कौन हु, मैं क्या हु
खुद से पूछता हु||
written by R.Vivek
E-mail-vivek2174@gmail.com
Tuesday, November 17, 2009
आतंकवाद
आतंकी खौफ के साये में
जी रहे सभी देश
चाहे हो अपना देश या हो विदेश
सर्वत्र यह प्रश्न उठ रहा
अगला निशाना कौन है?
दहशत से दहलते है कई राज्य
कभी दिलली , कभी मुंबई, कभी गुजरात
अब प्रश्न उठ रहा
अगला निशाना कौन है?
दहसतगर्दो ने दहशत के लिए बनाया आशियाना
कभी यातायात के साधन, कभी भीड़
अब प्रश्न उठ रहा
अगला निशाना कौन है?
जो देश के है खेवनहार
बीच सदन में नोटों की करने लगे बौछार
वो दे रहे सन्देश, देखो सम्पूर्ण देश
देश का असली खज़ाना हम नेताओ के पास है
अब यह प्रश्न उठ रहा
देश के लिए समर्पित आज नेता कौन है?
महफूज यहाँ कोई नहीं
सिलसिला बम्ब्लास्ट का
हो सकता है सुरु कहीं
जब न बच सकी लोकसभा या विदंसभा की ज़मी
अब यह प्रश्न उठ रहा
आतंकियो के लिया ज़मी तैयार कर रहा कौन है ?
इसके लिए जिमेदार कौन-कौन है?
आतंकी खौफ के साये में
जी रहे सभी देश
चाहे हो अपना देश या हो विदेश
जी रहे सभी देश
चाहे हो अपना देश या हो विदेश
सर्वत्र यह प्रश्न उठ रहा
अगला निशाना कौन है?
दहशत से दहलते है कई राज्य
कभी दिलली , कभी मुंबई, कभी गुजरात
अब प्रश्न उठ रहा
अगला निशाना कौन है?
दहसतगर्दो ने दहशत के लिए बनाया आशियाना
कभी यातायात के साधन, कभी भीड़
अब प्रश्न उठ रहा
अगला निशाना कौन है?
जो देश के है खेवनहार
बीच सदन में नोटों की करने लगे बौछार
वो दे रहे सन्देश, देखो सम्पूर्ण देश
देश का असली खज़ाना हम नेताओ के पास है
अब यह प्रश्न उठ रहा
देश के लिए समर्पित आज नेता कौन है?
महफूज यहाँ कोई नहीं
सिलसिला बम्ब्लास्ट का
हो सकता है सुरु कहीं
जब न बच सकी लोकसभा या विदंसभा की ज़मी
अब यह प्रश्न उठ रहा
आतंकियो के लिया ज़मी तैयार कर रहा कौन है ?
इसके लिए जिमेदार कौन-कौन है?
आतंकी खौफ के साये में
जी रहे सभी देश
चाहे हो अपना देश या हो विदेश
written By R.Vivek
E-mail-vivek2174@gmail.com
Monday, November 9, 2009
VAIMANAIYSTA
kyo jaltey ho,jalatey ho,
atma ko,ghirna ke bhathi mey?
ersya dvash failatey ho.
khushhal manavta ki basti mey
samay ek dhara hai
jindagi savari
kyo ched kartey ho
chlti hui kisti mey?
akhir ak-na ak din
hamko auir tumko milna hai
esi miti mey
kyo jaltey ho, jalatey ho,
aatma ko,ghirna ki bhathi mey?
khus raho, khusiya bato,
jinda dili key sath jio masti mey
ki dana khak mey milkar
hariyali lata hai, esi miti mey
socho kya khoya,kya paya
ta-umra apni hasti mey?
kyo jaltey ho, jalatey ho,
aatma ko, ghirna ki bhathi me
writtenBy R.Vivek
E-mail-vivek2174@gmail.com
atma ko,ghirna ke bhathi mey?
ersya dvash failatey ho.
khushhal manavta ki basti mey
samay ek dhara hai
jindagi savari
kyo ched kartey ho
chlti hui kisti mey?
akhir ak-na ak din
hamko auir tumko milna hai
esi miti mey
kyo jaltey ho, jalatey ho,
aatma ko,ghirna ki bhathi mey?
khus raho, khusiya bato,
jinda dili key sath jio masti mey
ki dana khak mey milkar
hariyali lata hai, esi miti mey
socho kya khoya,kya paya
ta-umra apni hasti mey?
kyo jaltey ho, jalatey ho,
aatma ko, ghirna ki bhathi me
writtenBy R.Vivek
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