सजधजकर श्रंगारकर नूतन वर्ष आ गया द्वार पर
प्रेमकर अलिगंनकर ,हर्षित हो ,नूतन वर्ष का सत्कार कर
प्रण,संकल्प,एतबारकर,जग के रचनाकार पर
कर्मशील,पथिक बन ,पथ की पहचान कर
अनवरत असक्त रह ,प्रतिकूलता के भी , राह पर
जिंदादिल बनकर ,हर परिसिथिति को अंगीकार कर
क्या है अपना , क्या है पराया ,इस पर न कभी एतबार कर
यहाँ सब कुछ है टिका ,परिवर्तान्शिलता के आधार पर
सजधजकर , श्रंगारकर ,नूतन वर्ष आ गया द्वार पर \\
--आर.विवेक
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