Monday, January 2, 2012

नया साल फिर एक नया संकल्प

सजधजकर श्रंगारकर नूतन वर्ष आ गया द्वार पर
प्रेमकर अलिगंनकर ,हर्षित हो ,नूतन वर्ष का सत्कार कर
प्रण,संकल्प,एतबारकर,जग के रचनाकार पर

कर्मशील,पथिक बन ,पथ की पहचान कर
अनवरत असक्त रह ,प्रतिकूलता के भी , राह पर
जिंदादिल बनकर ,हर परिसिथिति को अंगीकार कर
क्या है अपना , क्या है पराया ,इस पर न कभी एतबार कर
यहाँ सब कुछ है टिका ,परिवर्तान्शिलता के आधार पर
सजधजकर , श्रंगारकर ,नूतन वर्ष आ गया द्वार पर \\
--आर.विवेक

नया साल



हर दिन हो नया ,हर दिन हो शुभ
खुशिया आये सब की जिंदिगी में
लेकर कई रूप
कई अवसर मिले ,जब चमको तुम
जग रूपी आकाश में
तेरा अक्स दिखे ,हर प्रकाश में
हर माँ -बाप यही चाहे
तुझ सा ही तारा पले
हर माँ -बाप की कोख में //
---आर .विवेक