Saturday, June 12, 2010

NYAY YA MAZAK(BHOPAL GAS KAND)

जो चल रहा है
चलने दो
दुल्मुली व्यवस्था को
पलने दो
ये बदनसीबी है
इस देश की न्याय प्रणाली की
जो पली बढ़ी है
काली छाया में
तो इसे वंश वाद का
रूप दिखाने दो
यहाँ का कानून अँधा है
इसे अभी तक जकड़ा
गुलामी का फन्दा है
न्याय व्यवस्था में भी
चलता गोरख धंधा है
सब कुछ अन्दर ही अन्दर
आहिस्ता-आहिस्ता चलने दो
भेद कभी न खुलने दो
अहसासो को धूमिल
पड़ने तक
एक पीढ़ी से कई पीढ़ी
गुजरने तक
तारीख पे तारीख
पड़ने दो
इन्सान हूँ eस देश की संतान हूँ
बहुत कुछ सीखा है
इसी देश की सभ्यता और संस्कारो से
सहो न अन्याय और लड़ो burayee के खिलाफ
enihi बातो का anusardh कर
अस्तित्व मिट जाने तक
कोर्ट कचेहरी का ckakakar lagane दो
वैसे यहाँ कानून किसके लिए है
और न्याय यहाँ किसे मिलता है
यह बात आपको मालूम होगा
पर मुझे अज्ञानी बनकर समझने दो
धाराओं में उलझने दो
लिखा गया -वीवेक द्वारा
-मेल-विवेक२१७४@जीमेल.com

Sunday, June 6, 2010

यादो में

ख़त न चिट्ठी न पाती हम देगे
बस तेरी यादो में दस्तक देगे
बड़ा मतल्वी है जो ये ज़माना
इसका है न कोई ठिकाना
झूठा मनगढ़त बुन देगा ताना बाना
यादो में आकर फिर ,
आके चले जाना
बंद आखो में रहेगा तेरा मेरा ठिकाना
जब बीते पल की
खुलेगी एक -एक कर लड़िया
कभी हसना तो कभी रोना
कुछ पल के लिए
जग लगेगा सूना
उस पल कुछ न होगा
बस यादो के संग पड़ेगा जीना
ख़त न चिट्ठी न पाती हम देगे

बस तेरी यादो में हम दस्तक देगे
लिखने वाला -आर.विवेक
इ_मेल -विवेक२१७४@जीमेल.com